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एक पेड़ लगाओ मां के नाम :  जंगल दो अडानी के नाम : जंगल उजाड़ने से जानवर ली मासूम सहित तीन लोगों की जान  : इनके असली खूनी कौन पूछता है छत्तीसगढ़

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मादा हाथी और शावक ने मचाया तांडव , मासूम सहित तीन लोगों की  कुचलकर कर दिया   हत्या     

कैलाश आचार्य (स्वतंत्र पत्रकार)

रायगढ़/लैलूंगा। कभी जंगलों को बचाने की बातें करने वाली सरकारें और वन विभाग आज उद्योगपतियों के सामने बौने साबित हो रहे हैं। जंगल बचाने के नाम पर करोड़ों फूंक दिए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यही है कि रायगढ़ जैसे जिलों में हजारों पेड़ उद्योगों के विस्तार के नाम पर बेरहमी से काट दिए गए। अडानी कंपनी द्वारा हाल ही में मुंडा गांव में सैकड़ों-हजारों पेड़ों की बलि ली गई, और अब उसी उजड़े जंगल की कोख से निकले वन्य जीव इंसानी बस्तियों में कहर बनकर टूट रहे हैं।

जंगल उजड़ा, हाथी भटके और बेगुनाह बन गए निशाना….
धरमजयगढ़ वनमंडल के लैलूंगा परिक्षेत्र अंतर्गत बीती रात की दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे प्रशासन और सरकार की कथनी-करनी की पोल खोल दी। मादा हाथी और उसका शावक गांवों में घुसे और तबाही मचाई। ग्राम गोसाईडीह में तीन साल के मासूम सत्यम रावत को घर में सोते समय उसकी आंखों के सामने मौत आई। हाथी ने पहले उसके पिता पर हमला किया, फिर सुंघते हुए रो रहे बच्चे को सूंड से बाहर खींचकर पटक दिया यह दृश्य सिर्फ भयावह नहीं, इंसानी असफलता की सबसे बड़ी तस्वीर है।

घटनाएं इस प्रकार हैं…

ग्राम गोसाईडीह:
मृतक – सत्यम रावत, उम्र 3 वर्ष
रात 10 बजे के आसपास हाथियों ने घर तोड़ना शुरू किया। सत्यम अपने पिता के साथ कमरे में सोया था। टार्च की रोशनी पड़ते ही हाथी ने पिता पर हमला किया और उन्हें कमरे में फेंक दिया। वहीं मासूम सत्यम रोते हुए दूसरे कमरे में रह गया, जिसे छोटे हाथी ने सूंड से बाहर खींचकर पटक दिया।

ग्राम मोहनपुर:
मृतक – संतरा बाई राठिया, उम्र 45 वर्ष
खेत में काम कर रही महिला पर मादा हाथी ने हमला किया और पटक कर मार डाला।

वहीं मोहनपुर में ही:
मृतक – पुरसोत्तम प्रधान, उम्र 48 वर्ष
घर में सोते समय हाथी के हमले से मकान का हिस्सा गिरा और दबकर मौके पर ही मौत हो गई।

वन विभाग हाथियों की मॉनिटरिंग और लोगों को सतर्क करने के दावे जरूर करता है, लेकिन हकीकत यह है कि रायगढ़ जिला आज पूरे प्रदेश में हाथी-मानव द्वंद में प्रथम स्थान पर है। जंगल काटे गए, खदानें आवंटित हुईं, और अब इंसानों को जंगलों की राख पर जीना पड़ रहा है।

बहरहाल वन विभाग के DFO जितेंद्र उपाध्याय ने घटना की पुष्टि की है, लेकिन इससे गांवों का डर कम नहीं हो रहा। पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है। हर घर में अब सवाल यही है कि अगली बारी किसकी है।

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