नमस्कार , हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 8103696901 , 6266418989 , 6266256782 , 8226053208 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , मायावती का बड़ा प्लान : बुरी हार से बसपा को उबारने के लिए उठाए 10 कदम, भाजपा-सपा की मुश्किलें बढ़ीं – Azad Hind Live24

Azad Hind Live24

Latest Online Breaking News

मायावती का बड़ा प्लान : बुरी हार से बसपा को उबारने के लिए उठाए 10 कदम, भाजपा-सपा की मुश्किलें बढ़ीं

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊
कभी अकेले दम पर यूपी में सत्ता हासिल करने वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार एक सीट पर ही सिमट कर रह गई। पार्टी पिछले 10 साल के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इस दौरान कई दिग्गज नेताओं ने साथ छोड़ दिया। वोट प्रतिशत भी घटता रहा। हमेशा साथ देने वाले कोर वोटर्स ने भी दूसरी पार्टियों पर भरोसा करना शुरू कर दिया। ऐसे में पार्टी को नई ताकत देने के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने बड़ा प्लान बनाया है। उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया है। यही नहीं, कई बड़े रणनीतिक बदलाव की तरफ भी कदम बढ़ा दिए हैं।कभी अकेले दम पर यूपी में सत्ता हासिल करने वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार एक सीट पर ही सिमट कर रह गई। पार्टी पिछले 10 साल के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इस दौरान कई दिग्गज नेताओं ने साथ छोड़ दिया। वोट प्रतिशत भी घटता रहा। हमेशा साथ देने वाले कोर वोटर्स ने भी दूसरी पार्टियों पर भरोसा करना शुरू कर दिया। ऐसे में पार्टी को नई ताकत देने के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने बड़ा प्लान बनाया है। उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया है। यही नहीं, कई बड़े रणनीतिक बदलाव की तरफ भी कदम बढ़ा दिए हैं।

पहले जान लीजिए मायावती ने क्या-क्या फैसले लिए?

बसपा प्रमुख मायावती – फोटो : अमर उजाला
  • मायावती ने अपने भतीजे यानी आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया है। मतलब साफ है कि अब पार्टी को युवा हाथों में सौंपने की कवायद शुरू हो गई है।
  • तीन नए प्रभारी बनाए गए हैं जो सीधे आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे। यह जिम्मेदारी मुनकाद अली, राजकुमार गौतम और डॉ. विजय प्रताप को दी गई है।
  • बसपा की सभी इकाइयों को भंग कर दिया गया है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्षों को छोड़कर बाकी सभी को पद से हटा दिया गया है।
  • बसपा का साथ छोड़ने वाले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को वापस पार्टी में शामिल कराया गया और आजमगढ़ से उन्हें लोकसभा उप-चुनाव का प्रत्याशी बना दिया।
  • संगठन के सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों से चुनाव हारने के कारणों की रिपोर्ट मांगी गई है।

आगे क्या करने की तैयारी?

आकाश आनंद

बसपा सुप्रीमो ने रविवार को ही समीक्षा की। इस बैठक में शामिल पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘अब पार्टी का इससे ज्यादा नुकसान नहीं हो सकता। अब जो होगा वो पार्टी और बहनजी पर विश्वास रखने वालों के लिए अच्छा ही होगा। 38 साल में पहली बार पार्टी को एकदम से नया रूप देने की तैयारी शुरू हो गई है।’

बसपा नेता ने बताया कि 10 तरीके से पार्टी को रिवाइव किया जाएगा-

1. रणनीतिक स्तर पर बदलाव करके अब दलित-मुस्लिम गठजोड़ को नए सिरे से मजबूत बनाया जाएगा। ब्राह्मणों पर कम फोकस होगा।
2. पार्टी में अब युवाओं को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद खुद इस मोर्चे को संभालेंगे।
3. पार्टी ने यूपी, पंजाब और उत्तराखंड में सर्वे करवाने का फैसला लिया है। इस सर्वे के जरिए बसपा से छिटके कोर वोटर्स से संपर्क होगा। उनसे सलाह लिए जाएंगे।
4. मुद्दों को लेकर कार्यकर्ता-नेता सड़क पर उतरकर संघर्ष करेंगे।
5. वरिष्ठ नेताओं और युवाओं में तालमेल बनाने के लिए मायावती खुद काम करेंगी।
6. नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए भी आकाश आनंद को जिम्मेदारी दी गई है। वह सीधे सभी से रूबरू होंगे।
7. छात्र, कर्मचारी, वकीलों का अलग वर्ग बनेगा।
8. युवाओं को सोशल मीडिया की कमान सौंपी जाएगी, ताकि पार्टी के खिलाफ चल रहे ट्रेंडिंग व खबरों को मजबूती से काउंटर किया जा सके।
9. हर महीने जिले स्तर और दो महीने में जोन व मंडल स्तर पर बैठकें होंगी। इसकी रिपोर्ट सीधे नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद को देनी होगी।
10. मायावती और आकाश आनंद हर तीन से पांच महीने में सभी जिले और जोन की समीक्षा करेंगे।

इससे क्या फायदा होगा?

बसपा सुप्रीमो मायावती – फोटो : अमर उजाला

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय सिंह बताते हैं कि जिन तैयारियों के साथ बसपा दोबारा मैदान में उतरने की कोशिश में है वह काफी जरूरी है। पार्टी को ये आज साल पहले ही कर लेना चाहिए था जब 2012 में उन्हें हार मिली थी।

हालांकि, ये प्लानिंग बड़े रणनीतिक बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। चुनाव हारने के बाद मायावती ने सबसे पहले मुसलमानों का ही जिक्र किया था। कहा था, ‘मुसलमानों ने भाजपा को रोकने के लिए सपा का साथ दिया। ये उनकी सबसे बड़ी भूल है। मुस्लिम वोट अगर दलित के साथ मिलता तो परिणाम चमत्कारी होते।’

प्रो. सिंह आगे कहते हैं, ‘मायावती का यह कहना भी एक तरह से ठीक है। यूपी में दलित वोटबैंक करीब 21 फीसदी है, वहीं करीब 20% मुस्लिम वोटर्स हैं। अगर ये दोनों एकजुट होकर वोट कर देते तो भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं। अब लोकसभा और फिर 2027 के चुनाव के लिए मायावती यही फैक्टर फिर से मजबूत बनाना चाहती हैं।’

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now